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यह सवाल केवल एक औपचारिक चर्चा नहीं था, बल्कि उन बच्चों की पीड़ा की ओर ध्यान खींचने वाला था, जो रोज़ाना युद्ध, भूख, तस्करी और शोषण का शिकार हो रहे हैं। अस्मिता सत्यार्थी ने विश्व समुदाय को याद दिलाया कि ये बच्चे किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की जिम्मेदारी हैं।
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