करुणा के वैश्वीकरण का आह्वान संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाही में शामिल

2 Minutes Read

सत्यार्थी आंदोलन की पहल पर हुआ यह एतिहासिक फैसला

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के “फ्यूचर एक्शन डेज़” शिखर सम्मेलन में “करुणा के वैश्वीकरण” को एक महत्वपूर्ण सिफारिश के रूप में स्वीकार किया गया है। कैलाश सत्यार्थी लंबे समय से यह कह रहे हैं कि भारत ने दुनिया को कई क्रांतिकारी विचार दिए हैं, और अब समय आ गया है कि करुणा के वैश्वीकरण का संदेश भी भारत से पूरी दुनिया तक जाए। दुनिया ने इस सुझाव को गंभीरता से लेना शुरू किया है।
 
करुणा, जिसे अब तक एक आदर्शवादी विचार भर माना जाता रहा है, पहली बार संयुक्त राष्ट्र के एक्शन प्लान का हिस्सा बनी है। यह दर्शाता है कि अब इसे एक ऐसी शक्ति के रूप में देखा जा रहा है जो दुनिया के हर कोने में प्रभावी हो सकती है और समस्याओं का टिकाऊ समाधान दे सकती है।
 
संयुक्त राष्ट्र का यह ऐतिहासिक कदम हमारी सीईओ अस्मिता सत्यार्थी के 21 सितंबर के उस भावुक भाषण के बाद आया, जिसमें उन्होंने दुनिया के नेताओं से सीधे सवाल किया: “अगर ये बच्चे आपके होते, तो क्या आप उनकी मौत पर राजनीति करते या तुरंत कुछ ठोस कदम उठाते?”

यह सवाल केवल एक औपचारिक चर्चा नहीं था, बल्कि उन बच्चों की पीड़ा की ओर ध्यान खींचने वाला था, जो रोज़ाना युद्ध, भूख, तस्करी और शोषण का शिकार हो रहे हैं। अस्मिता सत्यार्थी ने विश्व समुदाय को याद दिलाया कि ये बच्चे किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की जिम्मेदारी हैं।

‘करुणा का वैश्वीकरण’ न केवल एक विचार है, बल्कि एक ऐसा आंदोलन है जो बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता देता है। यह स्पष्ट करता है कि जब बात बच्चों की सुरक्षा की हो तो, राजनीतिक सीमाओं का कोई महत्व नहीं रह जाता। चाहे बच्चा किसी भी देश में जन्मा हो, उसकी सुरक्षा, शिक्षा और स्वतंत्रता की जिम्मेदारी सभी की है। यह सिफारिश संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्य 16 (शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान) और लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा) से सीधे जुड़ी हुई है।
 
संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा में ‘करुणा के वैश्वीकरण’ का शामिल होना उन सभी व्यक्तियों और संगठनों के लिए एक नई दिशा है, जो बच्चों के अधिकारों के संरक्षण और उनकी भलाई के लिए प्रयासरत हैं।
 
अब वक्त आ गया है कि हम करुणा को केवल उपदेश या भाषण तक सीमित न रखें, बल्कि इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। हमें अपनी जिम्मेदारी समझते हुए करुणा और संवेदनशीलता को अपने कार्यों में ढालना होगा ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनकी उम्मीदों को पूरा करने में मदद मिल सके।
By Team SMGC

Do Your Bit

All humans are born with an inherent capacity for Compassion. A compassionate person’s response to the suffering of self and others is instantaneous and instinctive. Compassion is the driving force that steers us from cognizance to compassion in action.

Terms and Conditions:

  • Your donations are tax exempted under 80G of the Indian Income Tax Act
  • Tax exemption certificates will be filled with the details submitted in the above form
  • In case of incomplete or false details, your donation will be rejected
  • This link is for Indian Nationals paying via Indian Bank accounts only